रविवार, 22 अप्रैल 2012

एक कली...बहुत भली...


एक कली है, बहुत भली है, कुछ है उसको वरदान
वो बेटी है, खुशियों की पेटी है, समझो बेटा समान
मायूस-सी वो खडी है, कैसी विपदा उस पर पडी है
बेटों को तो देते आए, अब दे दो उसे भी अभयदान
बेटी सुख का सार है, समझो त्‍याग की रसधार है
कभी काली है, कभी दुर्गा है, बहुत से उसके नाम
हाथ बढें तो, सभी चलें तो, तभी होगा सपना साकार
बेटी बचाएं, खूब पढाएं, सोचो वह क्‍यों सहे अपमान

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