हर आहट पर...
हर आहट पर क्यूं तेरा इंतजार रहे
हटते ही धुंध-सी दिल
सोगवार रहे
राहें भी गुजरती रहीं
रफ्ता-रफ्ता
तन्हाई थी बची जो बस
हमवार रहे
चांद-तारों की चमक मंद
पडने लगी
निगाहों की चमक भी
तार-तार रहे
आहट तेरी कभी बदलेगी
हकीकत में
इसी कश्मकश में खुद से
ही रार रहे
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