रविवार, 22 अप्रैल 2012

उस रात...

चांदनी मानों कपास-सी थी उस रात
रात फिर भी उदास-सी थी उस रात
इल्‍म था कि शायद कभी मिलना न हो
फिर भी दिल में आस-सी थी उस रात
सबकुछ तो ठीक-ठाक था यकीनन
रोशनी क्‍यूं बदहवास-सी थी उस रात
जेहन जरूर सवालों से घिरा था मगर
खामोशी भी आसपास-सी थी उस रात
तुमसे गुफ्तगू करते रहे रात भर हम
फिर भी बेबुझी प्‍यास-सी थी उस रात

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