कुछ कहो...
मन में कोई बात न रहे, कुछ कहो
उलझे-से
सवालात न रहें, कुछ कहो
बेबोले
कुछ गांठें बंध जाया करती हैं
अधूरे-से
ख्यालात न रहें, कुछ कहो
बह
जाए जो भी गुबार हो मन में कहीं
बंधे-बंधे-से
जज्बात न रहें, कुछ कहो
मैं
ही बयां करुं क्या दास्ताने फिक्र को
खामोश-सी
जमात न रहे, कुछ कहो
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