जिंदगी से कभी तो
मतलब की बात होगी
किनारे से कभी किनारे
की मुलाकात होगी
बिखर जाएंगे रंग सारे
मुट्ठी में समेटे हुए
अमावस में भी खिली
चांदनी-सी रात होगी
वो चकोर न सही,
न चादं समझूंगा खुद को
बर्फ-सा पिघलूंगा जब
भी जिंदगी साथ होगी
यकीं रक्खूं आएगा
मुलाकात का वो दिन भी
जब एहसासों से सिर्फ
एहसास की बात होगी
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