माझी...मीत मन का
सोमवार, 23 अप्रैल 2012
उजाले की तरह...
उजाले की तरह अंधेरे पर बिखर जाऊंगा
अपने साथ रख ले थोडा निखर जाऊंगा
दर ब दर घूमता रहा फक्कडों की तरह
तेरा दर जो छूटा तो फिर किधर जाऊंगा
चला गया कहीं तो ये याद रखना तू भी
मुडेगी तेरी भी नजर वहीं जिधर जाऊंगा
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