दिल करता है मेरा मानों ख्वाबों की
ताबीर लिखूं
अपने हाथों से मैं जैसे खुद अपनी
तकदीर लिखूं
बारुदों की गंध में अब तो रहना मुश्किल
होता है
विस्फोटों के बीच में कैसे धुन इतनी
गंभीर लिखूं
रोकूं कैसे खुद को मानों दिल में नश्तर-सा
चुभता है
शब्दों की शमशीर से जैसे आज मैं
साझा पीर लिखूं
मानों जैसे, मंदिर-मस्जिद एक नींव पर खडे रहें
मानों जैसे, दरिया सागर में मिलने को अडे रहें
दिल करता है मेरा मानों सब धर्मों को
बीर लिखूं
जात-धर्म के जंजालों से अब तो मुक्ति
पा जाऊं
राम को अल्लाह ओ पैगंबर को मैं
रघुवीर लिखूं
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