रुस्वाई हो गई मेरी...
जमाने में जब रुस्वाई हो गई मेरी
मैं तन्हाई का, तन्हाई हो गई मेरी
अपना समझ बताया राज-ए-दिल
एक चूक से जगहंसाई हो गई मेरी
जख्म जो दिया नासूर बन चुका है
अब तो हर पीर पराई हो गई मेरी
वो खिलाए अपने बागान में खुशियां
जिंदगी बगिया मुरझाई हो गई मेरी
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