अधूरे-से
उस ख्वाब में रात पूरी गई
लब हिले भी नहीं और बात पूरी गई
जाना था, न गया
कोई भी साथ उनके
गई तो फिर, सपनों की
बारात पूरी गई
अब आते हुए भी नींद को डर लगता है
ख्वाब में मिलने की करामात पूरी गई
बेजार-सी लगने लगी तन्हाई भी अब
कही न सुनी और मुलाकात पूरी गई
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