जिंदगी समझो चिराग-सी....
जिंदगी समझो चिराग-सी हो जाए
आंखों में बस जरा आग-सी
हो जाए
भीड में मुर्दनी छायी थी
अब तलक
चिहाडों में अब तो जाग-सी
हो जाए
मातमी धुन गाने का वक्त
जा चुका
महफिल खुशनुमा राग-सी हो
जाए
साथ सावन का सूखे को निगल
लेगा
यहां की रौनक फिर बाग-सी
हो जाए
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