याद उसकी...
याद उसकी बेपरवाह-सी जाने रोज आती क्यूं है
पूछता नहीं फिर भी हाल लेती-बताती क्यूं
है
जिन्हें देखकर जख्म हरे से लगने लगते हैं
मुझे
यादें उन तस्वीरों से गुबार ए गर्द हटाती क्यूं है
कोई कह दे उसे कि न आया करें अब वो यहां
आए तो बैठे और चली जाए, गुनगुनाती क्यूं है
वो तो याद करने से रहा, पत्थरदिल जो ठहरा
समझ नहीं आता हिचकियां इतनी
आती क्यूं है
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