रविवार, 22 अप्रैल 2012

इंतजार...


उसके इंतजार में बेपरवाह-सी कट गई जिंदगी
कतरा-कतरा बही, लम्‍हा-लम्‍हा बंट गई जिंदगी
अजीज करते रहे लंबी उम्र की दुआएं मेरे लिए
किसी की खातिर फिर जाने क्‍यूं घट गई जिंदगी
अरमान समंदर में न दफनाऊं तो क्‍या करूं मैं
मिलते ही पलकें ख्‍वाबों से लिपट गई जिंदगी
दायरों की कभी दयारों ने हदबंदी नहीं की मेरे
अब उसी के ख्‍यालों तक सिमट गई जिंदगी

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