रविवार, 22 अप्रैल 2012

अंधेरे को डर लगा होगा...


अंधेरे को उजाले से शायद डर लगा होगा
उजाला आता उसे उसके घर लगा होगा
महलों में रहने की आदत है उजाले को
मुफलिस का घर उसे खंडहर लगा होगा
बूंद को तरसा जरा उस शख्‍स से पूछो
आंसू का कतरा उसे समंदर लगा होगा
पत्‍थरीली राह में पडे जिस पांव में छोले
हर पडाव पे तो हौंसले में पर लगा होगा
वो मेहरबां यूं ही नहीं होता कभी मुझपर
दर पे उसके मेरी मां का सर लगा होगा

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