रविवार, 22 अप्रैल 2012

हिचकियां...


उसने फिर से हमें भूल जाने की कसम खाई होगी
यूं ही सही, कम से कम हमारी याद तो आई होगी
हिचकियों ने भी अब तो बंद कर दिया आना-जाना
हिचकियों को भी उसने अपनी कसम खिलाई होगी
भूलना है तो भूले शौंक से, ये जब्र भी देख लेंगे हम
न मुकदमा होगा कोई, न ही किसी की गवाही होगी

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