थाम लो तुम...
मैं ढूंढता हूं खुद को, कहीं मिले तो बता देना
तुमको मिल जाऊं तो मुझे घर का पता देना
कही फिरता मिलूं पगलाया हुआ सा अगर
गलतियां माफ कर तुम जरा हक जता देना
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कभी अनकही-सुनी बंदिशें कदम थाम लेती हैं
कभी हिलौरती उम्मीदें ही सब्र से काम लेती है
दिल तो चाहता है कि कर लूं सारी हसरतें पूरी
अदृश्य बेडियां हसरतों पर लगा लगाम देती हैं
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