माझी...मीत मन का
रविवार, 22 अप्रैल 2012
कुछ नहीं...
गुल
,
गुलिस्तां
,
बहार
,
गुलाब कुछ नहीं
पतझड के आगे इनपे जवाब कुछ नहीं
शाकी
,
मैखाना
,
पैमाना
,
शराब कुछ नहीं
कितने गम पिए इसका हिसाब कुछ नहीं
दर्द के दरिया में डूबे दिल को सब पता है
प्यार में वफा से बढके खिताब कुछ नहीं
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