उससे अदावत करके...
उससे अदावत करके हमने
खोया बहुत
मुझसे मुंह फेर के वो भी तो रोया बहुत
जाने क्यूं मायने तलाशने में जुट गए
अब तलक तो शिकवों को पिरोया बहुत
पूछते हो तुम कि आंख सूखी-सी क्यों हैं
सुनो, ख्वाबों
को निगाह ने भिगोया बहुत
बात आने दो फिर बता देंगे
हम तुम्हें भी
दिन ढले तक तो चांद भी
यहां सोया बहुत
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