शिकवा करुं तो क्या...
जिंदगी से अब मैं शिकवा करुं तो क्या
बहुत रंज उठाए फिर रुस्वा करुं तो क्या
साया भी धोखा दे गया छांव क्या मिली
कोई बताए, गैरों पे भरोसा करुं तो क्या
यकीं टूटता गया और मैं भी न जुड सका
टूटे यकीं से खुदको जोडकर करूं तो क्या
मुझको ये इल्म है के ख्वाब टूटेंगे जरूर
टूटने को फिर ख्वाब देखकर करूं तो क्या
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