तो मैं हूं...
हर दुनियावी दस्तूर के मुकाबिल नहीं हूं मैं
काबिल न मानों तो नाकाबिल भी नहीं हूं मैं
मौजों को अक्सर झगडते देखा होगा तुमने
रुठूं जरा-सी बात पर वो साहिल नहीं हूं मै
हर रिश्ते की लिहाज मैं करता रहा ताउम्र
समाजी जज्बात हैं मेरे, जाहिल नहीं हूं मैं
दुखाते रहे दिलों को जो हंसते हैं बज्म में
उन दोस्तों में कसम से शामिल नहीं हूं मै
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