कतरा
हूं, समंदर में सिमट जाने दो
संभालो न मुझे, आज
मिट जाने दो
रोज-रोज किस्सा बनूं ये गंवारा नहीं
बात जब आई तो बस निपट जाने दो
कई बाजी हार चुका मैं जज्बातों की
इकबार
और सही,
मुहरे
पिट जाने दो
जिंदगी
से अक्सर लोग लिपटते देखे
छोडो, देखें तो मौत से लिपट जाने दो
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