शाकी
बदली-बदली, मयखाना बदला-सा
दिलकशी बदली या तो दीवाना बदला-सा
चाहकर भी आज रंग न दिखा पाई मुझपे
या मैं बदला, या
तो फिर पैमाना बदल-सा
मुझे ताज्जुब है तो बस इतना सा है
दोस्तों
मैं
बदल गया या लगे ये जमाना बदला-सा
अब
रास्ते बदलके मुझे अच्छा नहीं लगता
मंजिल
वही है थोडा आना-जाना बदला-सा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें