रविवार, 21 अगस्त 2016

शाकी बदली-बदली, मयखाना बदला-सा
दिलकशी बदली या तो दीवाना बदला-सा
चाहकर भी आज रंग न दिखा पाई मुझपे
या मैं बदला, या तो फिर पैमाना बदल-सा
मुझे ताज्‍जुब है तो बस इतना सा है दोस्‍तों
मैं बदल गया या लगे ये जमाना बदला-सा
अब रास्‍ते बदलके मुझे अच्‍छा नहीं लगता
मंजिल वही है थोडा आना-जाना बदला-सा

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