आज
फिर किसी भूले को याद करते हैं
ख्यालों को अब से हम आज़ाद करते है
कब तलक दफनायें रहें दिल में ज़ज्बात
हसरतों की कब्र पर शमां आबाद करते हैं
मुझसे तो अब और कुछ सहा नहीं जाता
एकबार
फिर अमन की फरियाद करते हैं
तबाह
कर डालेगा नफरत का ये ज़लज़ला
चलो
मिलकर मोहब्बत जिंदाबाद करते हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें