यादों
में मेरी कुछ चेहरों का बसेरा है
चंद अल्फाज हैं, रोशनी
है, अंधेरा है
दूर तलक जाती सोच की सडक पर
दिख रहा सपनों का उगता सवेरा है
ये ख्वाब तो मेरे पास रहें सुबह तक
शब
पर रहा कहां, किसका पहरा है
रोक
लूंगा जिद करके इन लम्हों को
कल
का ये सवेरा तो मेरा है, तेरा है
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