माझी...मीत मन का
रविवार, 21 अक्टूबर 2012
आज गैरत से मुलाकात...
आज गैरत से मुलाकात हो गई
बातों ही बातों में कुछ बात हो गई
तश्नगी से लब सूखे रहे अब तक
अब बेमौसम ही बरसात हो गई
फासला मिटाकर आज यूं मिला
मानों दीवाली में शब-ए-रात हो गई
धूप छाई, दिन ढला, फिर उदासी
आज फिर इंतजार में रात हो गई
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