बुधवार, 16 मई 2012

सिताइशगर है तू या...

सिताइशगर है तू या सितमगर, पता नहीं
फूल है या कोई कांटों भरी डगर, पता नहीं
सारी दुनिया तेरी उंगली पे नाचती है क्‍यूं
तू शाह है या फिर कोई कलंदर, पता नहीं
कतरा हूं मैं, आखिर मेरी बिसात है क्‍या
तू दरिया है कोई या समंदर, पता नहीं
तेरी बज्‍म में अब आते हुए डर लगता है
रहजन है नकाब में या रहबर, पता नहीं
मिलना है तो कभी याद कर ले शिद्दत से
मत पूछ मेरा पता, तुझे अगर पता नहीं
लबों पे क्‍यूं जुंबिश-सी होती रही बार-बार
कसक मुझमे है या तेरे अंदर, पता नहीं
इस राह में कोई मील का पत्‍थर नहीं है
अभी कितना बाकी है सफर, पता नहीं

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