हर्फ-ए-गलत की तरह मिटाना आता है
तुम्हें तो सिर्फ जुल्म ढहाना आता है
गलत हो पता है, बस ये मानते नहीं
हर मर्तबा तुम्हें नया बहाना आता है
तौर-तरीकों में जरा-सा बदलाव ले आओ
वरना वक्त को उसूल सिखाना आता है
क्यों खडे रहते हो खोखली बुनियाद पर
सच को झूठ की दीवार गिराना आता है
बुलंदी पर हो तुम तो इतना याद रखना
बुरे दौर को भी आना-जाना आता है
तुम्हें तो सिर्फ जुल्म ढहाना आता है
गलत हो पता है, बस ये मानते नहीं
हर मर्तबा तुम्हें नया बहाना आता है
तौर-तरीकों में जरा-सा बदलाव ले आओ
वरना वक्त को उसूल सिखाना आता है
क्यों खडे रहते हो खोखली बुनियाद पर
सच को झूठ की दीवार गिराना आता है
बुलंदी पर हो तुम तो इतना याद रखना
बुरे दौर को भी आना-जाना आता है

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